ध्रुव गुप्त
डीवीएनए। दुनिया कोविड 19 से उबरने के रास्ते खोज ही रही है कि एक और वायरस का दुनिया पर हमला हुआ है। यह वायरस कोरोना का ही एक विकृत रूप है जिसे डेनमार्क में फर के लिए पाले जाने वाले उदबिलाओं में पाया गया है। कोरोना के इस नए संस्करण से बहुत सारे लोगों के संक्रमित होने के बाद देखा गया कि इससे लोगों की इम्युनिटी ख़त्म होने लगी थी।
इससे कोरोना पर अभी तक हुए शोधों के प्रभावित होने का भी खतरा था। डेनमार्क सरकार के आदेश से वहां फार्मों में पाले जा रहे सभी उदबिलाओं को मारा जा रहा है। बी बी सी के अनुसार मारे जाने वाले उदबिलाओं की संख्या डेढ़ करोड़ तक हो सकती है। डेनमार्क ने इस वायरस के जीनोम सीक्वेंस को सार्वजनिक डेटाबेस में साझा किया है ताकि वैज्ञानिक वायरस के इस विकृत रूप के सबूत देख सकें।
पशुओं की इन व्यापक और अमानवीय हत्याओं के बाद दुनिया भर में यह बहस तेज हो गई है कि क्या करोड़ों पशुओं को मारे बगैर इस विकृत वायरस को ख़त्म करने के तरीके नहीं तलाशे जा सकते थे ? कई लोगों का यह मानना है कि यह वायरस ज्यादा फर हासिल करने के लोभ में ऊदबिलाओं में जेनेटिक परिवर्तन लाने की लोगों की मूर्खतापूर्ण कोशिशों का नतीज़ा है। आखिर अपने छोटे स्वार्थों के लिए प्रकृति के कार्यों में हम मनुष्यों के हस्तक्षेप की सज़ा मासूम जानवर क्यों और कबतक भोगेंगे?
(लेखक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं, ये उनके निजी विचार हैं, आवश्यक नहीं है कि इन विचारों से डीवीएनए भी सहमत हो। )
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